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दंतेवाड़ा का डिजिटल भू-अभिलेख मॉडल: पारदर्शिता और सुविधा का संगम

  दंतेवाड़ा । ई-गवर्नेंस को सशक्त बनाने और आमजन को त्वरित सेवा प्रदान करने की दिशा में दंतेवाड़ा जिले ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जिले में ...

 


दंतेवाड़ा । ई-गवर्नेंस को सशक्त बनाने और आमजन को त्वरित सेवा प्रदान करने की दिशा में दंतेवाड़ा जिले ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जिले में अब लोगों को अपने भू-अभिलेखों की प्रतियां कुछ ही मिनटों में उपलब्ध हो रही हैं। इस दिशा में जिले द्वारा 1920 से 1991 तक के सभी भू-अभिलेखों का डिजिटलाइजेशन पूर्ण कर लिया गया है।

पूर्व में जहां भू-दस्तावेजों जैसे स्वामित्व अभिलेख, बी-1, फॉर्म ए, प्लॉट रजिस्टर, नामांकन, नक्शा अभिलेख आदि प्राप्त करने में सप्ताहों लग जाते थे, वहीं अब मात्र नाम और खसरा नंबर के आधार पर ये दस्तावेज भू-अभिलेख कार्यालय या किओस्क सेंटरों से कुछ ही क्षणों में प्राप्त किए जा सकते हैं। यह सुविधा विशेष रूप से दूर-दराज के ग्रामीणों के लिए अत्यंत राहतकारी साबित हो रही है। राजस्व विभाग के इस कदम से न केवल दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, बल्कि इससे समय, संसाधनों और ऊर्जा की भी भारी बचत हो रही है। साथ ही डिजिटल प्रणाली की पारदर्शिता के चलते अब भू-अभिलेखों में अनधिकृत फेरबदल की संभावना भी समाप्त हो गई है।

ई-गवर्नेंस के तहत इस उत्कृष्ट कार्य के लिए दंतेवाड़ा जिले का चयन प्रधानमंत्री पुरस्कार हेतु किया गया है। गौरतलब है कि बीते दिनों नई दिल्ली से अंडर सेक्रेटरी सन्तोष कुमार और रोहतास मीना के नेतृत्व में एक टीम ने दंतेवाड़ा जिले का दौरा किया था। टीम को कलेक्टर कुणाल दुदावत ने जिले में भू-अभिलेखों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया और उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी थी। इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, तहसीलदार विनीत सिंह और भू-अभिलेख अधीक्षक गोवर्धन साहू सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


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