राजनांदगांव। काफी लंबे समय बाद गोंदिया जिले में किसी नक्सली ने नक्सल पथ को छोड़कर मुख्यधारा में वापसी की है। माओवादी संगठन में उत्पीडन और ...
राजनांदगांव। काफी लंबे समय बाद गोंदिया जिले में किसी नक्सली ने नक्सल पथ को छोड़कर मुख्यधारा में वापसी की है। माओवादी संगठन में उत्पीडन और यातना से तंग आकर 7 लाख का ईनामी माओवादी देवा उर्फ अर्जुन उर्फ राकेश सुमदो मुदाम ने गोंदिया कलेक्टर प्रजीत नायर, गोंदिया एसपी गोरख भामरे एवं एएसपी नित्यानंद झा के समक्ष छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहने वालेने आत्मसमर्पण किया।। वह टांडा दलम सदस्य, मलाजखंड दलम, पामेड प्लाटून 9/ प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य है और राजनांदगांव रेंज के खैरागढ़ जिले में घटित अपराधों में शामिल होने नामजद रिपोर्ट दर्ज है।
माओवादी देवा का पैतृक गांव बीजापुर जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए उनके गांव में हमेशा वर्दीधारी हथियारबंद माओवादियों का आना-जाना लगा रहता है। माओवादियों के भ्रम और प्रलोभन में फंसकर वे बचपन से ही नक्सली आंदोलन में शामिल हो गए और उनके निर्देशानुसार बच्चों के संगठन में काम करने लगे, फिर 2014 में वे पामेड़ दलम दक्षिण बस्तर चले गए। वहां बीजापुर में भर्ती हुए और हथियार उठा लिया। 2014 के अंत में 6 महीने तक पामेड़ दलम में काम करने के बाद उन्होंने अबूझमाड़ इलाके में ढाई महीने तक ट्रेनिंग की। अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें माओवादियों के क्षेत्र बस्तर से 2015 में एमएससी की उपाधि प्राप्त हुई और महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ जोन में भेजा गया।
एमएमसी में उन्होंने शुरूआत में 2015 से 2016 तक टांडा दलम और 2016 से 2017 तक मलाजखंड दलम में दलम सदस्य के रूप में काम किया। इसी बीच मलाजखंड क्षेत्र के डीवीसीएम चंदू उर्प देवचंद के अंगरक्षक के रूप में काम किया। 2018 में इसे वापस दक्षिण बस्तर इलाके में भेज दिया गया। 2018 से सितंबर 2019 तक माओवादी संगठन छोडने तक उन्होंने पामेड़ प्लाटून नंबर में सेवा की। 9वीं में प्लाटून दलम के सदस्य के रूप में कार्य किया।
आत्मसमर्पित नक्सली देवा 2014 से 2019 तक नक्सल संगठन में काम किया। वह टिपागढ़ फयरिंग (गढ़चिरौली), झिलमिली/काशीबहरा बकरकट्टा फायरिंग (राजनांदगांव), झिलमिली/मलौदा फारेस्ट कर्मचारी (राजनांदगांव), हत्तीगुड़ा/घोड़पाठ फारियंग (राजनांदगांव), किस्टाराम ब्लास्ट (सुकमा), पामेड़ फायरिंग (बीजापुर)। लेकिन मनमानी, फंड के नाम पर पैसे की लूट, झूठी लक्ष्य नीतियां, धोखा, प्रलोभन, नक्सली आंदोलन के नाम पर हिंसा का असली चेहरा सामने आने के बाद माओवादी ने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया।
No comments