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सफलता की कहानी : डब्ल्यूएचओ से स्वास्थ्य विभाग को मिली हैण्डी फण्डोस्कोपी मशीन

कांकेर। मधुमेह से ग्रसित मरीजों की आंखों की रेटिना की जांच अब आसानी से की जा सकेगी, क्योंकि उन्हें जिला अस्पताल तक आकर लाइन लगाने और अपनी बा...


कांकेर। मधुमेह से ग्रसित मरीजों की आंखों की रेटिना की जांच अब आसानी से की जा सकेगी, क्योंकि उन्हें जिला अस्पताल तक आकर लाइन लगाने और अपनी बारी का इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एनपी-एनसीडी कार्यक्रम के अंतर्गत जिला अस्पताल कांकेर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा डायबेटिक रेटिनोपैथी की स्क्रीनिंग करने के लिए हैण्डी फण्डोस्कोपी मशीन राज्य कार्यालय द्वारा प्रदान किया गया। 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश शांडिया ने बताया कि यह मशीन विशेष तौर पर मधुमेह से पीड़ित ऐसे व्यक्ति जिनको देखने में दिक्कत हो, जैसे- आंखां का धुंधलापन, अंधेरे क्षेत्र में दिखाई न देना, रंगों को समझने में कठिनाई, आंखों में धब्बे (फ्लोटर्स) आदि का उपचार हो सकेगा। उन्होंने बताया कि खून में शर्करा की मात्रा ज्यादा होने से डायबेटिक रेटिनोपैथी की बीमारी से ग्रसित होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आंख (रेटिना) के पीछे उत्तकों मे मौजूद नसों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे संदिग्ध मरीज जिनके रेटिना को हानि पहुंची है, उनकी जांच कर इस मशीन के द्वारा बहुत ही कम समय में बीमारी की पुष्टि कर जल्द से जल्द उसका उपचार किया जा सकेगा। यह मशीन पोर्टेबल (एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाने योग्य) होने की वजह से इसे सुगमता से अन्यत्र ले जाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि डायबेटिक रेटिनोपैथी की स्क्रीनिंग के लिए डॉ. चंद्रकांत मित्तल, नेत्र चिकित्सक, जिला चिकित्सालय कांकेर व डॉ. आशीष साहू नेत्र सहायक अधिकारी, नरहरपुर को डब्ल्यूएचओ की भारत इकाई के द्वारा एम्स दिल्ली से प्रशिक्षित किया गया है। 

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