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धार्मिक व्यक्ति सबको पसंद होता है लेकिन धर्म करना कोई नहीं चाहता: विरागमुनि जी

रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के छठवें दिन गुरूवार को दीर्घ तपस्वी विरागमुनि जी ने कहा कि धार्मिक व्यक्ति कभी भी किसी का अ...

रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के छठवें दिन गुरूवार को दीर्घ तपस्वी विरागमुनि जी ने कहा कि धार्मिक व्यक्ति कभी भी किसी का अपमान नहीं कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति धार्मिक हो जाता है तो लोग चाहते हैं कि मेरा बेटा भी ऐसा हो, मेरा पति भी ऐसा हो, मेरा भाई ऐसा हो, मेरे दोस्त जैसे हो, एक कर्मचारी चाहता है कि मेरा मालिक कैसा हो क्योंकि धर्म एक ऐसा पैरामीटर है जिसके ऊपर कुछ नहीं है। केवल इतना ही काफी नहीं होगा धार्मिक के साथ-साथ गुण भी होना चाहिए और जो हमारे अंदर के दोष है वह भी कम होने चाहिए।

मुनिश्री ने कहा कि पहले के लोगों को अगर आप देखें तो अगर आपस में कुछ ऐसी मनमुटाव वाली बात हो जाती थी और कोई गुस्सा भी हो जाता था तो आधे घंटे बाद सब शांत हो जाता था और लोग आपस में मिलजुल कर हंसते खेलते थे। जबकि आज स्थिति बहुत ही विपरीत हो चुकी है, आज एक बार किसी को गुस्सा आ जाए तो वह सामने वाले व्यक्ति का मुंह सालों साल नहीं देखता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आज व्यक्ति अपने पापों को बढ़ता जा रहा है, लालच, ईर्ष्या, राग-द्वेष जैसे अवगुण व्यक्ति के अंदर आ गए हैं और इतने हावी भी हो गए हैं कि वह यह नहीं समझ पाता कि मुझे सामने वाले को माफ करना चाहिए या उससे माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि थोड़ा सा दुख हमारे जीवन में आ जाए तो हम किसे भूलते है। हमें अगर थोड़ा सा भी सिर दर्द होता है, तो हम भगवान को भूल जाते है, पूजा-पाठ करने मंदिर नहीं जाते है। जबकि उस दिन हम नहाने गए, खाना खाए, काम पर चले गए पर मंदिर नहीं गए। संसार जगत का कोई भी काम नहीं छोड़े और छोड़े तो कौन सा काम, पूजा-अर्चना का, धर्म का काम। थोड़ा सा सिर दर्द हुआ तो धर्म का काम छोड़ दिया तो सोचो जो नरक गति में रहते है वो कैसे करते होंगे, क्या उन्हें धर्म की चिंता करने का समय मिलता होगा।

मुनिश्री ने बताया कि व्यक्ति को जब सुख के साधन भी ज्यादा मिल जाए तो वह धर्म-कर्म नहीं करता। अगर करना भी चाहे तो वह नियमानुसार नहीं कर सकते है। एक मनुष्य गति ही ऐसा जीवन में जहां हम तप कर सकते है, साधना कर सकते है, आराधना कर सकते है। चातुर्मास जप-तप और पूजा-आराधना करने का समय है। आलस्य में अगर जीवन बिता दिया तो यह चार महीने भी निकल जाएंगे और पता भी नहीं चलेगा।

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और निलेश गोलछा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री की प्रवचन श्रृंखला जारी है, आप सभी धर्म बंधुओं से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।


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