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भूमिगत कोयला खदान में काम करने वालों की हुई टीबी जांच

नारायणपुर। भूमिगत कोयला खदान में कार्य करना बड़ा ही जोखिम कार्य होता है। अन्दर हो बाहर तक प्रदुषण का प्रभाव से कोई वंचित नहीं रह सकता। जिस क...

नारायणपुर। भूमिगत कोयला खदान में कार्य करना बड़ा ही जोखिम कार्य होता है। अन्दर हो बाहर तक प्रदुषण का प्रभाव से कोई वंचित नहीं रह सकता। जिस कारण पल्मोनरी इंफेक्शन की सम्भावना बनी रहती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए कोल माइंस क्षेत्रों में  टीबी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। शिवानी कोल माइंस वंशीपुर में शिविर के दौरान 37 लोगों का सेम्पल कलेक्शन कर जांच हेतु भेजा गया।

शिविर में कोल माइंस के सिनियर माइनिंग सरदार सतीश तिवारी ने कर्मचारियों को समझाइश देते हुए कहा कि टीबी की बिमारी का जांच और उपचार आसान हो गया है। टीबी के बिमारी का एक स्लोगन बहुत ही महत्वपूर्ण है पुरा कोर्स पक्का इरादा। व्यक्ति की इच्छा शक्ति कभी कमजोर नहीं होना चाहिए।

मजबूत इरादों से हर कार्य आसान होता है। पिरामल फाऊंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक राज नारायण द्विवेदी ने कहा कि एक पाजेटीव टीबी रोगी दस से पंद्रह लोगों को फैलाता है इसलिए जब भी आप लोग अपने किसी साथी में टीबी के सम्भावित लक्षण देखे बलगम का जांच करवाने का सलाह दे । ऐसा करने से आप भी टीबी संक्रमण से बचेंगे और साथी को भी बचायेंगे। टीबी को समूल नष्ट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों का जांच होना चाहिए।

सिनियर ट्वीटमेंट सुपरवाइजर रामविलास ने कहा कि टीबी पेसेंट कभी भी दवा छोड़ छोड़कर न खायें नहीं तो टीबी घातक बन सकती। नशा-पानी से दूर रहकर नियमित दवा खाना चाहिए। आर एच ओ राम प्रताप गुप्ता ने कहा कि व्यक्ति का पोषण यदि ठीक-ठाक है तो कोई भी बिमारी आसपास नहीं फटकती और नशा से दूर रहना अति आवश्यक है। नशा सेवन के कारण बिमारी ठीक नहीं होती। आर एच ओ जरही के बाबुलाल चौधरी ने ने कहा कि धुम्रपान की लत से कई प्रकार के बिमारियों का जन्म होता है। गांजा सिगरेट और बीड़ी पीने से सीधा फेफड़े पर प्रभाव पड़ता है। जिससे टीबी होने की सम्भावना ज्यादा रहती है।


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