रायपुर । छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विधानसभा चुनाव की जीत के बाद उन्हीं फार्मूलों के आधार पर लोकसभा में भी जीत दर्ज की। इसमें सबसे अधिक अगर क...
रायपुर । छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विधानसभा चुनाव की जीत के बाद उन्हीं फार्मूलों के आधार पर लोकसभा में भी जीत दर्ज की। इसमें सबसे अधिक अगर किसी का जादू चला तो वह ''मोदी की गारंटी'' का रहा। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के पहले ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने तीन महीने के भीतर ही मोदी की गारंटी पूरी कर दी। किसानों के लिए 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी हो या फिर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत। धान के लिए एकमुश्त भुगतान और दो वर्ष का बकाया बोनस समेत कई गारंटियां पूरी की। 11.76 लाख किसानों को पिछले दो साल का बोनस दिया गया। इसी तरह 70 लाख से अधिक महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये महतारी वंदन योजना के तहत मिलना भी शुरू हो गया। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नौ वर्ष की कार्यकाल की उपलब्धियों को भाजपा ने जन-जन तक पहुंचाया।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अयोध्याधाम में भगवान श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को मुद्दा बनाया। राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में इसका असर दिखा। इसके अलावा पार्टी ने एक बार फिर हिंदुत्व व आदिवासी क्षेत्रों में मतांतरण का मुद्दा उठाया। इसके अलावा बिरनपुर में हुए सांप्रदायिक हिंसा और कवर्धा में भगवा झंठा विवाद को भी पार्टी ने मुद्दा बनाया।
भाजपा ने 11 में से आठ नए चेहरों को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा। वह भी कांग्रेस की तुलना में पहले सीट तय की। प्रत्याशियों को जनसंपर्क के लिए पर्याप्त अवसर मिला। यही फार्मूला भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में भी अपनाया था। उस समय भी भाजपा ने तीन महीने पहले टिकट की घोषणा की थी और 47 सीटों पर नए चेहरे उतारे थे जो कि कुल विधानसभा की 90 सीटों का 52 प्रतिशत था।
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