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छत्तीसगढ़ पुलिस किसके आदेश पर करती है निर्दोष जनता को परेशान? गंभीर स्थिति पर हाई कोर्ट ने भी पूछे सवाल

   बिलासपुर , 10अक्टूबर 2023 : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सिविल लाइन पुलिस की भूमिका को लेकर मां-बेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्य...

 


 बिलासपुर , 10अक्टूबर 2023 : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सिविल लाइन पुलिस की भूमिका को लेकर मां-बेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई। बेंच ने पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि छोटे लोगों को पुलिस कितना परेशान करती है यह तो साफ दिख रहा है। कोर्ट ने सिविल लाइन पुलिस के अलावा प्रभावशाली व्यक्ति को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।


मामला बिलासपुर के सिविल लाइन पुलिस थाना क्षेत्र का है। 55 वर्षीय मां और 26 साल की बेटी जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है, सिविल लाइन पुलिस ने मामूली विवाद में एक प्रभावीशाली व्यक्ति के इशारे पर धारा 107 व 116 के तहत जुर्म दर्ज कर जेल भेज दिया। याचिकाकर्ता मां व बेटी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि जमीन विवाद के कारण जिले से बाहर रहने वाले एक प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर यह कार्रवाई हुई है। दोपहर साढ़े 12 से लेकर शाम छह बजे तक सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पुलिस याचिकाकर्ताओं को बैठाए रही।


सिटी मजिस्ट्रेट ने जमानत देने के बजाय याचिकाकर्ताओं को जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया। दूसरे दिन शाम पांच बजे रिहाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ताओं को ऐसी धाराओं में जेल भेजने की कार्रवाई की जिस पर थाने से ही पुलिस जमानत की कार्रवाई पूरी की जा रूप सकती है। विवाद भी इतना नहीं था कि दो महिलाओं को घर से जबरन उठाकर पुलिस थाने ले आई। दोपहर 12 बजे से शाम तक थाने दिन में बैठाए रखी और शाम के वक्त सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश कर वहां से जेल भेजने की कार्रवाई करा ली।



कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी :-

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जब पुलिस कार्रवाई की जानकारी दी तब डिवीजन बेंच ने सिविल लाइन पुलिस की भूमिका को लेकर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि छोटे लोगों को कानून की आड़ लेकर पुलिस कितना परेशान करती है। या साफ दिख रहा है। बांड भरवाकर थाने से छोड़ा जा सकता था। पर ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने सिविल लाइन पुलिस के अलावा याचिका में पक्षकार नंबर छह जिसे अधिवक्ता ने प्रभावशाली व्यक्ति बताया है और जिनके इशारे पर पुलिस ने कार्रवाई की है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है।

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